नारी है नर का आधा,
पर वो उसकी हर राह में बाधा।
प्यार से तकरार से,
डरता है वो अपनी हार से।
फिर भी कहता ,
साथ हूँ तेरे मन कर्म और विचार से।
खुद पर उसे विश्वास नहीं है,
अहम् की चादर रखी ओढ़ है ,
पर की नैन से दुनिया देखे,
नारी के हर रूप से,
उसके अहंकार को घात लगी है.
नर है वो सर्वज्ञ,सर्वेश्वर,
नारी बस उसके अधीन हो.