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सोमवार, अगस्त 22, 2011

रुकना नहीं थकना नहीं,
तू क्षण भर भी.
 अब देश को तेरी जरुरत है,
कर वादा ये अपने से तू,
 जंग जीत पताका फहराएँ. 
अब  रार गैरों से नही अपनों से है,
रणभूमि तेरा अपना घर है.
शब्दों को  अपना खडग बना,
निनाद तेरा मुक्तकंठ हो. 
अपनों ने भेदा खंजर ,
अपनों का खून बहाए हैं
छाती छलनी हो जाता है ,
जब विश्वास हमारा खोता है
अब और नही बस और नही,
 अक्षम्य कृत किया जिसने, 
विश्वास देश का लुटा है.
कृत्घन हो चुके दम्भी को, 
दंड अब जनता देगी.
 
 
 

हमारे अन्ना हजारे ने पिछले छःदिनों से अन्न ग्रहण नही किया है
हम सभी किसी ना किसी रूप में उनका समर्थन कर रहे है.
मेरा आप सब से नम्र निवेदन है की आप सब अपने हिस्से की एक रोटी किसी गाय को खिलाएं,
और ईश्वर से प्रार्थना करें की इस अन्न की ताकत वो अन्ना जी को दें.
ताकि वो स्वस्थ रहें और सरकार को हमारी मांग पूरी करने को मजबूर करदें .जय हिंद.