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रविवार, फ़रवरी 21, 2010

अपनों का सौदा

अपनों का अपनों से सौदा,
अरमानो को अपनों ने रौंदा।

स्वप्न बह गए पानी बनकर,
नयनो में पलने से पहले।

कलियाँ टूट गयी शाखा से,
सूर्योदय होने से पहले।

अपनों ने मारा अपना बनाकर,
दर्द दे गये दवा बनाकर।

जीवन की उम्मीद दिखाकर,
बद्दुआ दे गये दुआ बना कर।

अपने फिर भी अपने होते है,
अपनों के सौदे होते है।


मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

तुम नही आस पास


अकेली साँझ,अकेली रात
ह्रदय विकल,नैनो में नीर,

तुम नही आस पास
नितांत अकेली मै,

और मेरी तन्हाई


राह तकती आहट की तेरे,

कब होगी भोर

मन कर रहा है शोर

देख तुझे झंकृत होंगे

मन के तार,

कट जाय हर पल,

सह रही हूँ यह असह्य शोर ,

कब होगी भोर
जब आओगे तुम।
लेकर अधरों पर मुस्कान,
पलकों के आलिंगन से बांध ,
बना दोगे हर पल मधुयामिनी सी,
जब तुम होगे आस पास!







अहंकार है चारों ओर

दीवारें दीवारों के बीच,
आंसू से रिश्तों को सींच.
आँखों में ईर्ष्या, ह्रदय में घात
जितने अपने उतने गैर,
अहंकार है चारों ओर!
इंसानों की लाशों पर,
कपडे बदलते लोग।
नम आँखे देख,
करवट बदलते लोग!
शमशानों में खिलते फूल,
गाँव में उड़ते धूल
रुपयों पर बैठी ये दुनिया,
भूखे नंगे,मरते लोग
साँस साँस पर आश लगी है,
आँखे खोले मरते लोग!
आंसू का कोई मोल नही है,
मद में डुबे गिरते लोग!

सोमवार, फ़रवरी 15, 2010

मै अकेली

मै अकेली,मेरी दुनिया अकेली
सब है पर कोई नहीं!
सबकी दुनिया,उसकी अपनी
सबके सपने,उसके अपने
अपने में भी कितने अपने!
सबकी जुबां और कान अलग है,
जीने के अरमान अलग है!
औरों पर विश्वास नहीं है
अपनों से कोई आस नहीं है
जिन्दा हैं पर जान नहीं है,
मरना भी आसान नहीं है
रिश्तों में अब प्राण नहीं है
मै हूँ कौन,और मेरा कौन
इन बातों की प्यास नहीं है!

रविवार, फ़रवरी 14, 2010

एक कदम तो चल

चल पाँव बढ़ा एक कदम तो चल,
मिल जाएगी राह तू जरा संभल!
संबल दे मन को अपने, खिल जायेंगे फिर सपने
सपनो को अपने पंख लगा,
चल पाँव बढ़ा,एक कदम तो चल!
टुटा है क्यूँ टूटेगा क्यूँ,
पत्थर तो नहीं जो फिर न जुड़े,
हिम्मत तो कर खुशियों को पकड़
चल पाँव बढ़ा,एक कदम तो चल.
गिर गिर के उठना भाव तेरा,
उठ कर अपने अपनों को मना।
अपने पैरों के निशान बना
रिश्तों का तू अवलम्ब तो बन,
चल पाँव बढ़ा ,एक कदम तो चल !