मेरी ब्लॉग सूची

शनिवार, नवंबर 17, 2012

एक सूरज ढल गया,
दूसरा ढलने को है।
चक्र जीवन सत्य है ये,
पल पल छलने को है।
ग्राह्य कर मनोव्यथा,
कल के अनंत पथ पर ,
अब कोई चलने को है।
इहलोक संताप देकर,
परलोक बसने को है।
आया था जिस कार्य से,
कर गया वो पूर्ण है।