चल पाँव बढ़ा एक कदम तो चल,
मिल जाएगी राह तू जरा संभल!
संबल दे मन को अपने, खिल जायेंगे फिर सपने
सपनो को अपने पंख लगा,
चल पाँव बढ़ा,एक कदम तो चल!
टुटा है क्यूँ टूटेगा क्यूँ,
पत्थर तो नहीं जो फिर न जुड़े,
हिम्मत तो कर खुशियों को पकड़
चल पाँव बढ़ा,एक कदम तो चल.
गिर गिर के उठना भाव तेरा,
उठ कर अपने अपनों को मना।
अपने पैरों के निशान बना
रिश्तों का तू अवलम्ब तो बन,
चल पाँव बढ़ा ,एक कदम तो चल !