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शुक्रवार, जुलाई 29, 2011

उसका दर्द

धोखे से धोखा खाया है,
उसे फिर किसी ने रुलाया है.
सपनो ने नज़रें फेरीं है,
किसी हाथ ने अंगुली छुड़ाई है.
दिल में नए अरमान लिए,
वह टूट टूट के जुड़ती है.
फिर कोई पत्थर हाथ लिए,
शीशे से उसके ख्वाबों को,
चूर चूर कर जाता है.
 फिर भी वो हंसती रहती है,
ये कैसी उसकी शक्ति है. 
प्रभु तू, भी इतना कठोर न बन,
कुछ खुशियाँ उसके लिए भी बुन.
क्या वो तेरा अंश नही,
जीना उसका अधिकार नही?




गुरुवार, जुलाई 21, 2011

बिटिया न कीजो

आज  वो नही आई,

 फिर घर पर कुछ हुआ होगा.

फिर किसी ने उसका दिल दुखाया होगा,

उसके रिसते घाव को कुरेदा होगा .

 लड़की होने के ताने दिए होंगे,

रंग रूप कद काठी,से हिन् बताया होगा.

फिर कोई रिश्तों के सौदागर  पधारें होंगे.

उसे चलाकर,उठाकर,बिठाकर, गवाकर,

सिलाई बुनाई,पकवान बनवाए होंगे.

फिर नैन नक्श में कमियाँ गिनवाई होंगी.

अपने सुपुत्र की उपलब्धियों की लिस्ट थमाई होगी,

पिता को बेटी के बाप होने का दर्द समझाया होगा.

सोचकर खबर कर देंगे,ऐसा कह निकल गए होंगे

माँ ने  बढ़ती उम्र की दुहाई दी होगी,

पिता ने दहेज़ की असमर्थता जताई होगी.

आंसुओं में  उसकी चुन्नी  डूब गयी होगी,

मुँह  पर दुप्पटा रख उसने  अपनी आवाज़  दबाई होगी,

उसे बेटी होने पर नफ़रत आई होगी.

"अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो"

 मन ही मन  ईश्वर से  मनाया  होगा.