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रविवार, जनवरी 02, 2011

सुना है!

सुना है!दुआएं असर करती है,
 अक्सर बद्दुआओं  को असर करते देखा है.
सुना है!पिता के कर्मो की सजा पुत्र को भुगतनी पड़ती है.
अक्सर पुत्र के कृत की सजा पिता को सहते देखा है.       
सुना है!विरानो में बहारें नहीं आती,
हमने अक्सर शमशानों में फूल खिलते देखा है.
         सुना है!मुहब्बत जिंदगी में एक बार होती है,
          अक्सर मुहब्बत का खेल बनते  देखा है.
सुना है!दोस्त दिल के सबसे करीब होता है,
हमने अक्सर दोस्ती को दफ़न होते देखा है.
          सुना है!प्रभु की राह में चलने वाले,
           भौतिकवादी  नही होते,
           हमने अक्सर संतों को अशर्फियों  पे  उंघते देखा है.
                   सुना है! पीढियां रिवाजें   चलाती हैं,
अक्सर रिवाजों तले पीढ़ियों को मरते देखा है.
सुना है!अपना खून अपना ही होता है,
  हमने अक्सर अपनों को अपनों का खून करते देखा है.
सुना है!मुर्दे की जुबां नही होती,
हमने अक्सर जुबां वालों का गूंगापन देखा है.
               सुना है!प्यार में शर्त नही होती,
               हमने अक्सर शर्ते मुहब्बत देखा है.

 

2 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर रचना - बधाई

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  2. और बेहतर शब्दों का विन्यास आप कर सकती थीं । अनुस्वार के लिये shift +6 दबायें। बद्द्दुआओ के बाद shift +6 दबाने से अनुस्वार की मात्रा आ जायेगी ।
    सत्य

    जवाब देंहटाएं

आपकी सराहना ही मेरा प्रोत्साहन है.
आपका हार्दिक धन्यवाद्.