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रविवार, जुलाई 15, 2012







शुक्रवार, जुलाई 13, 2012

मोहन तेरा सम्मोहन !
फ़ैल रहा चहु ओर,
जैसे हवा के,
साथ साथ,
फैलती है खुशबू,
हर ओर!
मोहन तेरा सम्मोहन!
खींचे मुझे तेरी ओर,
जैसे,पतंगा
खिंचा जाये,
लों की ओर!
मोहन तेरा सम्मोहन!
मेरी प्रीत,
जगाये ऐसी
जैसे चकवा संग चकोर.
मोहन तेरा सम्मोहन!!
मेरे ह्रदय,
समाये ऐसे,
जैसे गोकुल में नन्द किशोर..