औरों को नसीहत देता है, मनुज तू!
कभी खुद भी अमल कर देख.
नीद में सपने सबने देखा,
कभी जागती आँखों के सपने देख.
दिन उजियारा जग में फैला,
रात को दिन में बदल कर देख.
खून के रिश्ते अपने होते हैं,
कभी दिल के रिश्ते निभा के देख.
लहू से होली खूब है खेली,
काया से अमृत छलका के देख.
कभी खुद भी अमल कर देख.
झूठ ही सोया झूठ ही जागा,
कभी सच की रह पे चल कर देख. नीद में सपने सबने देखा,
कभी जागती आँखों के सपने देख.
दिन उजियारा जग में फैला,
रात को दिन में बदल कर देख.
खून के रिश्ते अपने होते हैं,
कभी दिल के रिश्ते निभा के देख.
लहू से होली खूब है खेली,
काया से अमृत छलका के देख.
"कभी दिल के रिश्ते निभा के देख"
जवाब देंहटाएंइसी में सब कुछ निहित है - सच्चा सन्देश