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मंगलवार, फ़रवरी 16, 2010

तुम नही आस पास


अकेली साँझ,अकेली रात
ह्रदय विकल,नैनो में नीर,

तुम नही आस पास
नितांत अकेली मै,

और मेरी तन्हाई


राह तकती आहट की तेरे,

कब होगी भोर

मन कर रहा है शोर

देख तुझे झंकृत होंगे

मन के तार,

कट जाय हर पल,

सह रही हूँ यह असह्य शोर ,

कब होगी भोर
जब आओगे तुम।
लेकर अधरों पर मुस्कान,
पलकों के आलिंगन से बांध ,
बना दोगे हर पल मधुयामिनी सी,
जब तुम होगे आस पास!







अहंकार है चारों ओर

दीवारें दीवारों के बीच,
आंसू से रिश्तों को सींच.
आँखों में ईर्ष्या, ह्रदय में घात
जितने अपने उतने गैर,
अहंकार है चारों ओर!
इंसानों की लाशों पर,
कपडे बदलते लोग।
नम आँखे देख,
करवट बदलते लोग!
शमशानों में खिलते फूल,
गाँव में उड़ते धूल
रुपयों पर बैठी ये दुनिया,
भूखे नंगे,मरते लोग
साँस साँस पर आश लगी है,
आँखे खोले मरते लोग!
आंसू का कोई मोल नही है,
मद में डुबे गिरते लोग!