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गुरुवार, अगस्त 19, 2010

आह्वान

आओ अर्जुन और आजाद,
आओ भीम और सुभाष,
हिन्दोस्तान की सुनो आवाज़.              
आज मान रखनी है तुमको,
हिंद की उतर रही है ताज.
अपने ही दुशास्सन बनके,
उतार रहे वसुधा की लाज.
अज्ञात वास  अब बहुत हो चुका ,
देश हमारा बहुत रो चुका.
शोणित अपना बहुत खो चुका!
क्षमा,दया,तप,त्याग मनोबल
अलंकार है इस अवनी के
खल ने किये घात पर घात
करनी उनकी अक्षम्य  हो गयी.
आई अब कृपाण,गदा की बारी,
देखेगी फिर दुनिया सारी!
आओ गाँधी आओ साईं
जिनके हाथों देश सौंप गए
निर्लज्जों ने दुर्दशा बनायीं
जाके तुम परलोक बैठ गये,
मर्कट,गर्दभ,उलूक छोड़ गये,
आ भी जाओ देश पुकारे
तुम सा कोई संत कहाँ अब
लालच का कोई अंत कहाँ अब
ऐसा कोई संत नही है
जिसकी न हो काली कमाई
आओ राम आओ हनुमान
रावण आज घर-घर में बैठे
कैसे सीता लाज बचाए
आओ हनु अब तुमरी आस है
सिय की मान अब तुमरे हाथ है
महावीर बस तुम ही कर सकते
वैदेही की टोह ले आओ
हम कब से है टेर लगाते,
सुनो राम सिय हिय रोये.