आज वो नही आई,
फिर घर पर कुछ हुआ होगा.
उसके रिसते घाव को कुरेदा होगा .
लड़की होने के ताने दिए होंगे,
रंग रूप कद काठी,से हिन् बताया होगा.
फिर कोई रिश्तों के सौदागर पधारें होंगे.
उसे चलाकर,उठाकर,बिठाकर, गवाकर,
सिलाई बुनाई,पकवान बनवाए होंगे.
फिर नैन नक्श में कमियाँ गिनवाई होंगी.
अपने सुपुत्र की उपलब्धियों की लिस्ट थमाई होगी,
पिता को बेटी के बाप होने का दर्द समझाया होगा.
सोचकर खबर कर देंगे,ऐसा कह निकल गए होंगे
माँ ने बढ़ती उम्र की दुहाई दी होगी,
पिता ने दहेज़ की असमर्थता जताई होगी.
मुँह पर दुप्पटा रख उसने अपनी आवाज़ दबाई होगी,
उसे बेटी होने पर नफ़रत आई होगी.
"अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो"
मन ही मन ईश्वर से मनाया होगा.