आज दिल फिर उदास क्यूँ है?
गीला है आँखों का समन्दर ,
फिर सूखेपन का अहसास क्यूँ है.? माना पाना ही जन्नत नही,
फिर तेरे जाने से खालीपन का आभास क्यूँ है?
दिल के बिखरे टुकड़े चुन चुन जोड़ दिए ,
फिर भी इसमे सुराख़ क्यूँ है?
सांसों की डोर प्रेम के धागे से बंधी थी हमने,
आज इसमे हल्की सी दरार क्यूँ है?
गीला है आँखों का समन्दर ,
फिर सूखेपन का अहसास क्यूँ है.? माना पाना ही जन्नत नही,
फिर तेरे जाने से खालीपन का आभास क्यूँ है?
दिल के बिखरे टुकड़े चुन चुन जोड़ दिए ,
फिर भी इसमे सुराख़ क्यूँ है?
सांसों की डोर प्रेम के धागे से बंधी थी हमने,
आज इसमे हल्की सी दरार क्यूँ है?
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