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सोमवार, जनवरी 10, 2011

प्राइवेट नौकरी

क्या तुम्हे वो रात याद है?


कौन सी रात?

तुम फिर भूल गये!


ओह! ये तुम्हारे भूलने की बीमारी


खैर छोड़ो..


कल की अहमियत समझते हो न तुम!


कल क्या है?


उफ़!


बाबूजी की पुण्यतिथि है


ओह! हाँ याद आया.


काम का इतना दबाव है की...


बाबूजी को गुजरे दो साल हो गये क्या?


याद करने का समय नहीं मिला!


हुं!!!


माँ का फोन आया था.


क्या कहा?


गाँव बुला रही है !


पर छुट्टी नहीं मिलेगी.

बॉस से बात करता हूँ!


प्राइवेट नौकरी है


बार बार छुट्टी नही मिलेगी.


समझती हो ना...

हुम्म!!!!!!

रविवार, जनवरी 02, 2011

सुना है!

सुना है!दुआएं असर करती है,
 अक्सर बद्दुआओं  को असर करते देखा है.
सुना है!पिता के कर्मो की सजा पुत्र को भुगतनी पड़ती है.
अक्सर पुत्र के कृत की सजा पिता को सहते देखा है.       
सुना है!विरानो में बहारें नहीं आती,
हमने अक्सर शमशानों में फूल खिलते देखा है.
         सुना है!मुहब्बत जिंदगी में एक बार होती है,
          अक्सर मुहब्बत का खेल बनते  देखा है.
सुना है!दोस्त दिल के सबसे करीब होता है,
हमने अक्सर दोस्ती को दफ़न होते देखा है.
          सुना है!प्रभु की राह में चलने वाले,
           भौतिकवादी  नही होते,
           हमने अक्सर संतों को अशर्फियों  पे  उंघते देखा है.
                   सुना है! पीढियां रिवाजें   चलाती हैं,
अक्सर रिवाजों तले पीढ़ियों को मरते देखा है.
सुना है!अपना खून अपना ही होता है,
  हमने अक्सर अपनों को अपनों का खून करते देखा है.
सुना है!मुर्दे की जुबां नही होती,
हमने अक्सर जुबां वालों का गूंगापन देखा है.
               सुना है!प्यार में शर्त नही होती,
               हमने अक्सर शर्ते मुहब्बत देखा है.