अकेली साँझ,अकेली रात
ह्रदय विकल,नैनो में नीर,तुम नही आस पासनितांत अकेली मै,और मेरी तन्हाईराह तकती आहट की तेरे,कब होगी भोरमन कर रहा है शोरदेख तुझे झंकृत होंगे मन के तार,कट जाय हर पल,सह रही हूँ यह असह्य शोर ,कब होगी भोर जब आओगे तुम। लेकर अधरों पर मुस्कान,
पलकों के आलिंगन से बांध ,
बना दोगे हर पल मधुयामिनी सी,
जब तुम होगे आस पास!
बना दोगे हर पल मधुयामिनी सी,
जवाब देंहटाएंजब तुम होगे आस पास!
बहुत खूब. शब्दोँ का उत्तम प्रयोग.
बधाई स्वीकारेँ
सत्य
sundar sabda-shilp......
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