समय नहीं समय के साथ,
हाथ नहीं किसी के हाथ.
आँखों में मैल,ह्रदय में बैर,
अधरों पर झूठी मुस्कान.
भागे मन शहरों से शहरों,
व्याकुल मन स्नेह को तरसे.
नैन एक विश्वास को बरसे
भरोसा अपना अस्तित्व खो रहा,
स्वार्थ हर दमन का साथी
ये तेरा है ,ये मेरा है.
सब मेरा है क्या तेरा है.
सपनो को सच करने को,
अस्मत को फूंक मुस्कान दिखा.
हर शब्द आज के इंसान का चित्रण करता हुआ - हमें आयना दिखता हुआ कि अब तो सुधर जाओ!
जवाब देंहटाएंअच्छी प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंbahut hi sundafr kavita .. shabdo ke chayan ne bhaavo ko bahut hi accha roop diya hai ..
जवाब देंहटाएंBADHAI
VIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html