मेरी ब्लॉग सूची

बुधवार, जुलाई 28, 2010

दुश्मन दोस्त

दोस्ती का भरम टूट गया,
शायद दुश्मनी ही जीने का सबब  बन जाये.
दोस्ती का जाम  छलक गया ,
शायद दुश्मनी ही नशा कर जाये.
सुनते है यारी में दगा  दे गया वो,
अब दुश्मनों से वफ़ा की उम्मीद की जाये.
 दोस्तों ने ठिकाने बदल लिए,
अब दुश्मनों के घर तक राह बनायीं जाये.
दोस्तों के दिलों के अँधेरे से दूर,
अब दुश्मनों के दिलों की आग से रौशनी जलाई जाये.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी सराहना ही मेरा प्रोत्साहन है.
आपका हार्दिक धन्यवाद्.