अपनों का अपनों से सौदा,
अरमानो को अपनों ने रौंदा।
स्वप्न बह गए पानी बनकर,
नयनो में पलने से पहले।
कलियाँ टूट गयी शाखा से,
सूर्योदय होने से पहले।
अपनों ने मारा अपना बनाकर,
दर्द दे गये दवा बनाकर।
जीवन की उम्मीद दिखाकर,
बद्दुआ दे गये दुआ बना कर।
अपने फिर भी अपने होते है,
अपनों के सौदे होते है।
Great Lines !
जवाब देंहटाएंManoj Verma, Bilaspur, Chhattisgarh